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मुक्तक : सत्य अराजक लोगों की संख्या बढती जा रही है स्वयं भू ईमानदारों की रोज बाढ आ रही है चोर उचक्के उठा रहे हैं कोतवाल पर उंगली जिंदगी न जाने ...