इश्क़-ए-ना'तराश

2 Part

314 times read

4 Liked

(हिस्सा- एक) मैं समाज से हूँ कटी-कटी मेरा मिज़ाज ज़रा है मुख़्तलिफ़  तू महफ़िलों की बात ना कर ये बात मुझको रुला ना दे  मुझे दिल्लगी का शऊर नहीं मेरे शौक़ ...

×