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गीत - उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट दर्द को जो समझते नहीं हैं कभी, बेटियों से किसी की करें हाय छल क्यों बहू को यहाँ नौकरानी समझ, जुल्म ढाने लगे लोग हैं आजकल। ...