1 Part
285 times read
9 Liked
तेरे सांचे में ढल गया आख़िर शहर सारा बदल गया आख़िर तेरी सांसो की गरमी से जाना ये पूरा बदन पिघल गया आखिर थे कुछ ख्वाब शाख से जुदा हुए सूखे ...