1 Part
247 times read
17 Liked
वो कहते हैं कि हमने क़दर नहीं की रिश्तों की हम तो जैसे ब्याज चुका रहे हैं किश्तों की किस तरह से खुद को बार बार तार तार किया जाए क्यों ...