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उम्र की डोर से फ़िर एक मोती झड़ रहा है तारीख़ों के जीने से दिसम्बर फ़िर उतर रहा है.. कुछ चेहरे घटे, चन्द यादें जुड़ी, उम्र का पन्छी नित दूर और ...