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मैं सहर नहीं जो कि शब उतर जाऊँगा, पत्ता नहीं जो शज़र से टूट बिखर जाऊँगा। तुम मेरा हाथ पकड़ कर रोको तो सही, मैं तो ताउम्र तुम्हारे लिए वहीं ठहर ...