कबीर दास जी के दोहे

255 Part

97 times read

1 Liked

कबीर लहरि समंद की, मोती बिखरे आई बगुला भेद न जानई, हंसा चुनी-चुनी खाई।।  अर्थ : कबीर कहते हैं कि समुद्र की लहर में मोती आकर बिखर गए। बगुला उनका भेद ...

Chapter

×