कबीर दास जी के दोहे

255 Part

103 times read

1 Liked

मन हीं मनोरथ छांड़ी दे, तेरा किया न होई पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई।। अर्थ :  मनुष्य मात्र को समझाते हुए कबीर कहते हैं कि मन की ...

Chapter

×