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मेरी ज़िंदगी है धुँआ धुँआ कभी राख सी ,कभी आग सी कभी तितलियों सी उड़े है ये कभी गीत सी ,कभी राग सी हूँ फ़ना मैं जिसके शबाब में क्यों खफा ...