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जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप।। अर्थ : कबीर दास जी कहते हैं कि जहाँ दया-भाव है वहाँ धर्म-व्यवहार ...