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थाम जो लेते मेरा तुम हाथ स्वामी सफर जीवन का मेरे मुश्किल न होता मैं तो बस छाया तुम्हारी इस जगत में बोझ हूँ क्या पता व्यक्तित्व हूँ भी या महज ...