दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय दगा

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|हम तो हुए बरबाद,वफा की हाय कसमें निभा के|| दिल के जले हैं दाग,गया है कोई बिजली गिरा के|| कोई ना अपना देखा,दुनिया पराई है|| रीति यहाँ ना जाने,किसने बनाई है|| ...

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