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कल तलक़ जो दिन और रात मेरे साथ थे उन्हीं रिश्तों में कोई बोझ अंजान हुई हूँ.. भूल गए हैं जब से वो अपने फर्ज को गुजरे हुए वक़्त का आज निशान ...