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वक्त कुछ कम वक्त कुछ कम था और जिंदगी कुछ ज्यादा की परवाह में बर्बाद होने को मुस्कुरा रही है, कैसे कहूं उससे अब तेरे एहसास में हम भी रोना भूल ...