कितना हसीं मेरे कल्पना का शहर है

1 Part

330 times read

18 Liked

वो अज़ीज़ वो आजिज़ी वही दहर है, तेरा ख़्याल मुझे हर पल, हर पहर है। उसे  देखे बिन  साँस भी  नहीं आती, कितना हसीं मेरे कल्पना का शहर है।। ...

×