कितना हसीं मेरे कल्पना का शहर है

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वो अज़ीज़ वो आजिज़ी वही दहर है, तेरा ख़्याल मुझे हर पल, हर पहर है। उसे  देखे बिन  साँस भी  नहीं आती, कितना हसीं मेरे कल्पना का शहर है।। ...

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