लेखनी प्रतियोगिता -03-Jan-2023

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 कल्पना  कल्पना  से परे  था मेरी उम्मीदो का एक शहर जहाँ हवा तो चलती थी, मगर तन को नहीं छूती थी  जहाँ ख्वाब  तो आते थे मगर आखे  नहीं  सोती थी ...

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