1 Part
313 times read
18 Liked
कल्पना कल्पना से परे था मेरी उम्मीदो का एक शहर जहाँ हवा तो चलती थी, मगर तन को नहीं छूती थी जहाँ ख्वाब तो आते थे मगर आखे नहीं सोती थी ...