लिखूं कुछ मैं भी....

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लिखूं कुछ मैं भी,पर कलम में ज़ोर कहाँ से लाऊँ उद्वेलित हो अंतर्मन वो शोर कहा से लाऊँ और पीर उर की कही न जाये पीर उर की कही न जाये ...

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