एहसान

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2.. एहसान सही वक्त आने पर मैं एहसान चुका देता हूं शोर को अपने मैं फिर खामोशी में बदल देता हूं हर रिश्ते जिसने मदद की कभी मेरी बिन मांगे उनकी ...

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