ख्वाहिशों का बोझ!

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ख्वाहिशों का बोझ! पराई आग पे रोटी  सेंकने नहीं आता,   रेजा-रेजा  मुझे बिखरने नहीं आता।  कत्ल कर देती हैं वे अपनी नजरों से,   इल्जाम उनपे मुझे लगाने नहीं आता।  गुनाह की ...

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