1 Part
245 times read
22 Liked
*कर सकें जितना मिले संतोष हम*। जिससे हार सके कोई ताकत नहीं हम।। ज्यादा की ख्वाहिश नहीं रखते है हम। वसुदेव कुटुंबकम का प्रयास करते हैं हम।। नेह की डोर से ...