लेखनी कविता -06-Jan-2023

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*कर सकें जितना मिले संतोष हम*। जिससे हार सके कोई ताकत नहीं  हम।। ज्यादा की ख्वाहिश नहीं रखते है हम। वसुदेव कुटुंबकम का प्रयास करते हैं हम।। नेह की डोर से ...

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