शहरी जिंदगी

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पेट की अगन बुझाने को, घर अपना चलाने को छोड़ आया गांव की गलियां सपनों की नई  दुनिया बसाने को था जमीर उसका पाक साफ और था व्यवहार में सादा पन ...

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