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नज़र के तेज़ ख़ंजर हो गए हैं। दीवाने-ख़ाक मुज़्तर हो गए हैं।। शिकस्ता सारे मंज़र हो गए हैं। तिरी चाहत में पत्थर हो गए हैं।। करे शिकवा भला उन से कहो ...