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मूलाधार चक्र में स्थित हो गौरी पुत्राय तुम। कुंडलिनी माता के रक्षक हो शिवपुत्राय तुम। बारंबार नमन करता हूं । अवोधिता का गुण जगा दो हे निर्मलाय तुम। वासनाओं इच्छाओं से ...