इशारा..

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दूर से देखती रही वफ़ा गैरो की तरह... नफरत पास आकर बैठी. तो हमदर्द लगने लगी..... तुझसे बिछड़े हुए ज़माना हो गया..... जो संभाल कर रखी थी.. आगाज़ ए मुहब्बत की ...

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