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दोहे : हे हनुमत, हे विश्व गुरु, प्रभु भक्त महावीर उत्तम फल वाको मिले, जो सुमिरे रघुवीर //1.// बिसरायें दुष्कर्म को, हम तुच्छ बुद्धिहीन हे बलधामा भक्त को, न रखिए दीन ...