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एक-संस्कार विहीन मनुष्य संस्कार विहीन मनुष्य, होता नर विहीन, पशु समान होती जात, ना होता कोई मान। संस्कृति को पीछे ढकेलता, आधुनिकता को अपनाता, अधूरा ज्ञान अज्ञानता को बढ़ाता, जीवन में ...