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धरती का परिधान धरती पहनी हरा परिधान लहलहा उठे हैं खेत खलिहान। नभ को आभाष धरती की प्यास सुखाड़ की विकट घड़ी में नभ पे है विश्वास। अम्बर के आँसू से ...
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