जीतनराम: एक दुःखद स्मृति

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"पहचाना साहब!" सामान उठाते हुए नौजवान कुली ने कहा। वह अचानक सुबह की ताज़ी हवा के तेज झोंके की तरह सामने आ खड़ा हुआ था। लम्बी-घनी दाढ़ी-मूँछ और चेहरे को आधा ...

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