अर्थपुराण: निर्धनता का अभिशाप

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"कहाँ घुसा जा रहा है कंजर? आँखें फूट गई हैं क्या?" पोछा लगाते हुए झबरी के हाथ रुक गए। "कमबख़्त शक्ल अच्छी नहीं दी भगवान ने, कम-से-कम बातें तो अच्छी किया ...

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