ना समझ

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वो बेवफ़ा उल्फ़त के सितम ढाते रहे  हम नासमझ बस उनसे ही दिल लगते रहे वो तो हमसे दूरिया बढ़ाते रहे हम नासमझ बस उसको मिटाते रहे वो हमारी आँखों मे ...

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