फूल और काँटे!

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फूल और काँटे! मत  बेचो  रोशनी  अपने  मकान  की, कुछ तो लाज रखो दुनिया जहान की। मिसाइलों  की भृकुटी चढ़ा रखा है वो,   कुछ तो ख्याल कर मेरे आसमान की। अनजान ...

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