बदनसीबी

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हर लम्हा खफा ख़फ़ा सा है  क्यों हर सवाल  जुदा  जुदा सा है अब तो तन्हाईयाँ भी खामोश हो गई है अब तो सासे भी सासो से  जुदा हो गई है ...

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