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सुमेर नवजात शिशु का पितृवत पालन करने लगा। जब खुदादाद बड़ा हुआ तो उसे बाण - विद्या , घुड़सवारी और तत्कालीन सारी विद्याओं , कलाओं की शिक्षा प्रवीण शिक्षकों से दिलाई ...