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......... मुहब्बत,आज की प्रतियोगिता वास्ते..... वुजूद अपना गंवा कर के जाना हमने मुहब्बत क्या है, हस्ती अपनी मिटा बैठे तो समझे ज़िन्दगी क्या है । निग़ाहों का उनकी क्या कहिए, पैग़ामे ...