1 Part
304 times read
15 Liked
चराग- ए -मोहब्बत! चराग-ए-मोहब्बत जलाने चला हूँ, नई जिन्दगी अब बसाने चला हूँ। जुल्फों को बाँध ले तू ऐ! महजबी, मौसम-ए-बहार मैं लाने चला हूँ। आशिकी के अंदर बसता है मौसम, ...