अधूरे अधूरे

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चांदनी भरी रात थी साथ तारो की बारात थी  मै अकेली बैठी हुई छत पर इस खूबसूरत नज़ारे को निहारते हुए सोच रही थी चाँद अपनी चाँदनी के बिना अधूरा है ...

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