Add To collaction

अफसाने मोहब्बत के मर्कूम सभी हैं

अफसाने मोहब्बत के मरकू़म सभी हैं।

बदनाम अकेला हूं मासूम सभी हैं।


मंजि़ले मक़सूद से हम इसलिए हैं दूर।

खादिम नहीं है कौ़म के मख़दूम सभी हैं।


यह ज़र्फ है मेरा कि मैं ख़ामोश रहा हूं ।

वरना तो ऐब मुझको भी मालूम सभी है।

लम्हों की ख़ता पर है सदियों की सजा़ मिलती।

ज़ालिम नही दिखते, सगी़र मज़लूम सभी हैं।


शब्दार्थ

मरकूम= अंकित, दर्ज

मंज़िल ए मकसूद= आखिरी पड़ाव, the goal, aim

खादिम= सेवक,

मखदूम= पूज्य,पूजनीय,स्वामी ,मालिक

जर्फ= सहनशीलता,गंभीरता

ऐब= बुराई

मजलूम= अत्याचार से पीड़ित,opressed

   7
2 Comments

Shalini Sharma

18-Sep-2021 01:35 PM

Superb ✌️

Reply

Anju Dixit

14-Sep-2021 08:08 PM

वाह वाह वाह

Reply