Fiza Tanvi

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शायरी

शायरी.....
ज़ख्मो से छलनी हैं ये दिल.... 
बद्दुआ देने से भी मजबूर हैं....


बेह जाओ मेरे आसुओ.... 
तुम्हारी परवाह किसे हैं..... 
अपनों ने समझा नहीं... 
गैरो ने इंकार कर दिया... 

गम आकर बैठ गया हैं देहलीज़ पर मेरी.. 
कहता हैं. 
मेरे सिवा परवाह किसी और की करना नहीं. 


गैरो को अपनों से ज़ियादा चाहा तुमने..... 
तो क्यो गम हुआ हमें. 
हमतो बेवकूफ थे. 
जो उम्र भर इस बात को लेकर रोते रहे.... 

तंदुरुस्ती मै आरज़ूए खाक मै मिलती चली गई... 
एक बिमारी ने दुनिया का कोना कोना दिखा दिया..

बड़ी नादानी से इन्साफ क्या.. 
उस समझदार शख्श ने इश्क़ का मेरे...

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1 Comments

Shalini Sharma

18-Sep-2021 01:34 PM

Really great lines

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