शायरी

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शायरी..... ज़ख्मो से छलनी हैं ये दिल....  बद्दुआ देने से भी मजबूर हैं.... बेह जाओ मेरे आसुओ....  तुम्हारी परवाह किसे हैं.....  अपनों ने समझा नहीं...  गैरो ने इंकार कर दिया...  गम ...

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