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रिश्तेदार

अपनों को देख बीच मझधार,
रंग  बदल  लेता  है रिश्तेदार।

पैसा ही अब भगवान हो गया,
सबको पैसे का है बस ख़ुमार।

मतलब तक आपसे रिश्ता है,
रिश्ते बन गए है अब व्यापार।

वो अपनापन खो गया है कहीं,
ख़त्म  हो  गया आपसी प्यार।

"निक्क"  भी  किनारा  करले,
अब सब हो गए हैं समझदार।

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14 Comments

Punam verma

08-Feb-2023 09:02 AM

Very nice

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nikksinghnikhil

08-Feb-2023 11:10 AM

Thanks

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बहुत ही सुंदर सृजन

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nikksinghnikhil

08-Feb-2023 11:10 AM

जी धन्यवाद

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Abhinav ji

08-Feb-2023 08:21 AM

Very nice 👍

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nikksinghnikhil

08-Feb-2023 11:10 AM

Thanks

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