रिश्तेदार
अपनों को देख बीच मझधार,
रंग बदल लेता है रिश्तेदार।
पैसा ही अब भगवान हो गया,
सबको पैसे का है बस ख़ुमार।
मतलब तक आपसे रिश्ता है,
रिश्ते बन गए है अब व्यापार।
वो अपनापन खो गया है कहीं,
ख़त्म हो गया आपसी प्यार।
"निक्क" भी किनारा करले,
अब सब हो गए हैं समझदार।
Punam verma
08-Feb-2023 09:02 AM
Very nice
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nikksinghnikhil
08-Feb-2023 11:10 AM
Thanks
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
08-Feb-2023 08:31 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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nikksinghnikhil
08-Feb-2023 11:10 AM
जी धन्यवाद
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Abhinav ji
08-Feb-2023 08:21 AM
Very nice 👍
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nikksinghnikhil
08-Feb-2023 11:10 AM
Thanks
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