बेरुखी

बेरुखी


बेरुखी का सबब हम भी तो जानें

आप के दिल में क्या है, पहचानें

कल तक तो थे मुरीद हमारे आप

बेमुरव्वत ऐसे जा रहे हैं, जैसे अनजाने।


खाई थी वफा की हजारों कसमें

निबाहेंगे तुम से दुनिया की तोड़ रस्में

ये कौल तुमने ही तो मुहब्बत के उठाए थे

हमने भी जो किए थे वादे सब निबाहे थे।


फिर जिंदगी में क्यों ऐसा मोड़ आया
हमारे प्रेम की दुनिया पे किसका पड़ा साया
तेरी बेरुखी देख कर दिल ज़ार ज़ार रोता है
वफ़ा का बदला इस जहां में बेवफाई क्यूं होता है।।

आभार – नवीन पहल – २७.०२.२०२३ 💔💔

# प्रति


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7 Comments

Alka jain

01-Mar-2023 06:37 PM

Nice 👍🏼

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Renu

28-Feb-2023 05:37 PM

👍👍🌺

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Babita patel

28-Feb-2023 01:09 PM

nice

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