खामोशी
तेरी खामोशियां ......
अब चुभती हैं मुझे,
बिना देखे तेरा ,
मुझे अनजानों - सा जतलाना,
बहुत अखरता है।
क्या कहूं?
यह सोचकर चुप हो जाती हूं____
जानती हूँ, गलत कौन है?
फिर भी रब पे भरोसा करके ,
सब सह जाती हूँ ।
क्योंकि बात तो वही ,
बहुत पुरानी है कि,
मैं तुम्हें चाहती हूँ ।
Alka jain
01-Mar-2023 06:33 PM
Nice 👍🏼
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Anu koundal
01-Mar-2023 07:50 PM
🙏🙏
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Renu
01-Mar-2023 05:24 PM
👍👍
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Anu koundal
01-Mar-2023 07:50 PM
🙏🙏
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Reena yadav
01-Mar-2023 07:33 AM
Nice 💐😇
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Anu koundal
01-Mar-2023 07:50 PM
🙏
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