Madhu varma

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लेखनी कहानी -भिक्षुक का जादू भाग २

भिक्षुक का जादू भाग 2

एक सुबह वृद्ध ने देखा की टोकरी बनाने वाले के बेटे ने एक पिजड़ा पकड़ रखा था जिसके अंदर एक चिड़िया बंद थी। बिचारा पक्षी फड़फड़ा रहा था और पिजड़े की छड़ों से बार-बार टकरा रहा था। “अगर तुम पक्षी को छोड़ दो तो मैं तुम्हें एक जादू दिखाऊंगा”, वृद्ध ने उससे कहा।

आश्चर्यचकित लड़के ने सिर हिलाकर हामी भर दी। वृद्ध कुटिया के अंदर गए और एक काला कपड़ा, एक कलम कागज और एक ब्रश लेकर बाहर आए। उन्होंने काला कपड़ा पिंजरे के ऊपर लपेट दिया। जब वह स्याही में पानी मिला रहे थे तब बच्चे उन्हें चुपचाप देख रहे थे। उन्होंने झटपट ब्रश चलाया और पिंजरे में कैद पक्षी का चित्र बना दिया। चित्र इतना सजीव थे की बच्चों को लगा की अभी गाने लगेगा। चित्र में उन्होंने पिंजरे को दरवाज़ा खुला चित्रित क्या था।

तभी चित्र में बना पक्षी चहचहाने लगा। पिंजरे के खुले दरवाजे से मैं बाहर निकल आया और कागज से उड़कर पास के एक पेड़ की डाल पर बैठ गया। टोकरी बनाने वाले के बेटे ने झटपट पिंजरे पर लगा कपडा खींच लिया। यह देख सारे बच्चे आश्चर्य से चिल्ला दिए पिंजरा खाली था।

सन्यासी लड़के को देख कर मुस्कुराए और बोले तुमने एक अच्छा काम किया है। उन्होंने उससे कहा तुमने एक जंगली जीव को स्वतंत्र कर उसकी प्रकृति के अनुसार उसे जीने का अवसर दिया है।

“क्या वह जादू आप मुझे सिखा सकते हैं” फु नान ने बाद में वृद्ध से पूछा।

वृद्ध ने प्यार से कहा “यह जादू सीखने से पहले सन्यासी बनने के लिए मुझे अपना सबकुछ त्यागना पड़ा था, फिर मैंने वर्षों तक अध्ययन किया था और संकल्प लिया था कि इस जादू का मैं कभी भी अपने लाभ के लिए उपयोग नहीं करूंगा। तुम अभी बहुत छोटे हो अपना लक्ष्य जानने के लिए प्रतीक्षा करो।

गांव में फू नान कभी कभी एक गरीब बुजुर्ग विधवा लियांग की सहायता करता था और पानी से भरी बाल्टी गांव के कुएं से उठाकर उसके घर ले जाता था, क्योंकि उसके कुएं में पानी खत्म हो गया था।

गर्मी के एक दिन फू नान ने वृद्ध को लियांग से बात करते सुना “तुम्हारा कुआं कब से सुखा हुआ है। ”

“एक वर्ष से, जब से किसान वू ने पानी की धारा को जो मेरे कुएं में जाती थी अपने नाशपाती के बाग की ओर मोड़ लिया था।” लियांग ने उत्तर दिया।

“शायद मैं तुम्हारी सहायता कर पाऊं” सन्यासी ने कहा। उन्होंने एक कलछी पानी लियांग के कुएं में डाल दिया। अगली सुबह उसने देखा कि कुआं ऊपर तक मीठे निर्मल पानी से भरा हुआ था।

फू नान और लियांग ने ही यह चमत्कार देखा था लेकिन कुछ दिनों बाद भिक्षुक सन्यासी की इस जादू के बारे में सारे गांव को पता चल गया।

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