लेखनी कहानी - कब्रिस्तान की भटकती रूह की सच्ची कहानी
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लेखनी कहानी - इंसानी दुनिया का काला हिस्सा हैं यह श्रापित आत्माएं
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लेखनी कहानी -भूतों से रक्षा करने वाली, जय माँ काली
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लेखनी कहानी -खजाने की आत्मा अपने वारिस की तलाश कर रही है
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लेखनी कहानी -मनहूस दिन - मनसुख और चम्पा की जोड़ी ने फैलाया, गाँव में आत्माओ का कहर
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लेखनी कहानी -मनहूस दिन – छिछले पानी के अंदर मौत का भयानक मंजर
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लेखनी कहानी - बिना आँखों वाले क्रोधी मुंड का त्रांडव
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लेखनी कहानी - सीवेज के अंदर घूमते पागल प्रेत का प्रकोप
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लेखनी कहानी - फ़ोरेनर के रूप में आई चुड़ैल के चक्कर में आया मेरा दोस्त
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लेखनी कहानी - रेगिस्तान में चोटी वाले प्रेत का आतंक
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लेखनी कहानी - बालुबा कन्याशाला में भेडिये पिशाच का हमला
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लेखनी कविता - जब मैं तेरा गीत लिखने लगी -अमृता प्रीतम
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लेखनी कविता -ऐ मेरे दोस्त! मेरे अजनबी! - अमृता प्रीतम
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लेखनी कविता -अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार - काका हाथरसी
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लेखनी कविता -साँस के प्रश्नचिन्हों, लिखी स्वर-कथा -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -यह किसका मन डोला -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीर -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -वरदान या अभिशाप? -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - समय के समर्थ अश्व -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -जीवन, यह मौलिक महमानी -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - ये प्रकाश ने फैलाये हैं -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -यह अमर निशानी किसकी है? -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - वेणु लो, गूँजे धरा -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -ये वृक्षों में उगे परिन्दे -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - गाली में गरिमा घोल-घोल -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -वर्षा ने आज विदाई ली -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -उस प्रभात, तू बात न माने -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - मैं अपने से डरती हूँ सखि -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - क्या आकाश उतर आया है -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - दूबों के दरबार में -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -मधुर! बादल, और बादल, और बादल -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - इस तरह ढक्कन लगाया रात ने -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -भाई, छेड़ो नही, मुझे -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - कुंज कुटीरे यमुना तीरे -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -बदरिया थम-थमकर झर री ! -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - चलो छिया-छी हो अन्तर में -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - कैसी है पहिचान तुम्हारी -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -फुंकरण कर, रे समय के साँप -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -अंजलि के फूल गिरे जाते हैं -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -आज नयन के बँगले में -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता - पुष्प की अभिलाषा -माखन लाल चतुर्वेदी
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लेखनी कविता -मैं कहीं और भी होता हूँ - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता - मामूली ज़िन्दगी जीते हुए - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता - एक चीनी कवि-मित्र द्वारा बनाए अपने एक रेखाचित्र को सोचते हुए - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता -यकीनों की जल्दबाज़ी से - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता - ये पंक्तियाँ मेरे निकट - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता - भाषा की ध्वस्त पारिस्थितिकी में - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता - किसी पवित्र इच्छा की घड़ी में - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता -दूसरी तरफ़ उसकी उपस्थिति - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता -यक़ीनों की जल्दबाज़ी से - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता -अंग अंग उसे लौटाया जा रहा था - कुंवर नारायण
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लेखनी कविता -क्षतशीश, मगर नतशीश नहीं - जगदीश गुप्त
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लेखनी कविता - सुना है कभी तुमने रंगों को - जगदीश गुप्त
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लेखनी कविता - बथुए की पत्ती, मूंगे जैसी बाल - जगदीश गुप्त
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लेखनी कविता - सच हम नहीं सच तुम नहीं - जगदीश गुप्त
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लेखनी कविता -सम्वाद - लेखनी के प्रति - जगदीश गुप्त
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लेखनी कविता - पेशोला की प्रतिध्वनि- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -शेरसिंह का शस्त्र समर्पण- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - अंतरिक्ष में अभी सो रही है- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -मधुर माधवी संध्या में- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -निधरक तूने ठुकराया तब- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - अरे कहीं देखा है तुमने- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - चिर तृषित कंठ से तृप्त-विधुर- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -जगती की मंगलमयी उषा बन- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - जग की सजल कालिमा रजनी- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -मेरी आँखों की पुतली में- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - कितने दिन जीवन जल-निधि में- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -कोमल कुसुमों की मधुर रात- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - अब जागो जीवन के प्रभात- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -तुम्हारी आँखों का बचपन- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -आँखों से अलख जगाने को- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - उस दिन जब जीवन के पथ में- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -हे सागर संगम अरुण नील- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -हे सागर संगम अरुण नील- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - अरी वरुणा की शांत कछार- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -मधुप गुनगुनाकर कह जाता- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - निज अलकों के अंधकार में- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -ले चल वहाँ भुलावा देकर- जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -ले चल वहाँ भुलावा देकर -जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - अरुण यह मधुमय देश हमारा -जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -आह ! वेदना मिली विदाई -जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता -हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद
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लेखनी कविता - यह कर्जे की चादर जितनी ओढ़ो उतनी कड़ी शीत है - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - तुम कागज पर लिखते हो - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -तारों से भरा आसमान ऊपर - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -आषाढ़ का पहला दिन - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - साल शुरू हो, साल खत्म हो ! - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -आमीन, गुलाब पर ऐसा वक्त कभी न आये - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - बूँदें टपकी नभ से - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - सतपुड़ा के जंगल - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - मैं तैयार नहीं था - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -झुर्रियों से भरता हुआ - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -तुमने जो दिया है - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -आराम से भाई ज़िन्दगी - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - चार कौए उर्फ चार हौए - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -धरती का पहला प्रेमी - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता -जूही ने प्यार किया - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - निरापद कोई नहीं है - भवानीप्रसाद मिश्र
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लेखनी कविता - जान भर रहे हैं जंगल में - नागार्जुन
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लेखनी कविता - शायद कोहरे में न भी दीखे - नागार्जुन
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लेखनी कविता - जान भर रहे हैं जंगल में - नागार्जुन
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लेखनी कविता - प्रतिबद्ध हूँ, संबद्ध हूँ, आबद्ध हूँ - नागार्जुन
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लेखनी कविता - मोर न होगा ...उल्लू होंगे - नागार्जुन
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लेखनी कविता - सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे
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लेखनी कविता - उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
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लेखनी कविता - अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है
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लेखनी कविता - अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे
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लेखनी कविता - लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं
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लेखनी कविता - कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं
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लेखनी कविता - पुराने शहरों के मंज़र निकलने लगते हैं
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लेखनी कविता - तीरगी चांद के ज़ीने से सहर तक पहुँची
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लेखनी कविता - कुछ ग़में-जानां,कुछ ग़में-दौरां - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -अरे ख्वाबे मोहब्बत की - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - जो दिलो-जिगर में उतर गई - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -देखा हर एक शाख पे - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - हमको तुमको फेर समय का - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - ज़िन्दगी क्या है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -फरिश्तों और देवताओं का भी - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - न पूछ क्या काम कर गई है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - न आना तेरा अब भी - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -हुस्न का जादू जगाए - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -जो भूलतीं भी नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - आह वो मंजिले-मुराद - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - इश्क तो दुनियाँ का राजा है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -इश्क-बेबाक को रोके हुए है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - वुसअते-बेकराँ में खो जायें - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -जिससे कुछ चौंक पड़ें - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - किस तरफ़ से आ रही है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - डरता हूँ कामयाबी-ए-तकदीर देखकर - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -न जाने अश्क से आँखों में क्यों है आये हुए - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र में - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -हमसे फ़िराक़ अकसर छुप-छुप कर - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -हिंज़ाबों में भी तू नुमायूँ नुमायूँ - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - देखते देखते उतर भी गये - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -हर जलवे से एक दरस-ए-नुमू लेता हूँ - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - न जाना आज तक क्या शै ख़ुशी है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - कोई नई ज़मीं हो नया आसमां भी हो - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -थरथरी सी है आसमानों में - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - ये तो नहीं कि ग़म नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -ये निकहतों की नर्म रवी, ये हवा ये रात - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - सर में सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -सकूत-ए-शाम मिटाओ बहुत अंधेरा है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - रात भी, नींद भी, कहानी भी - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -रात आधी से ज्यादा गई थी सारा आलम सोता था - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - मुझको मारा है हर एक दर्द-ओ-दवा से पहले - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -मौत इक गीत रात गाती थी - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - कभी पाबंदियों से छुट के भी दम घुटने लगता है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -जब नज़र आप की हो गई है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - ग़ैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - ऐ जज्बा-ए-निहां और कोई है कि वही है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - ये माना ज़िन्दगी है चार दिन की - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - यह नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चिराग़ - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -सितारों से उलझता जा रहा हूँ - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - रस में डूब हुआ लहराता बदन क्या कहना - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - निगाहें नाज़ ने पर्दे उठाए हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -तमाम कैफ़ ख़मोशी तमाम नग़्म-ए-साज़ - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - मैं होशे-अनादिल हूँ मुश्किल है सँभल जाना - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -तहों में दिल के जहां कोई वारदात हुई - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - इस सुकूते फ़िज़ा में खो जाएं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -तुम्हीं ने बायसे-ग़म बारहा किया दरयाफ़्त - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - होकर अयाँ वो ख़ुद को छुपाये हुए-से हैं - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -छिड़ गये साज़े-इश्क़ के गाने - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - ख़ुदनुमा होके निहाँ छुप के नुमायाँ होना - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -कभी जब तेरी याद आ जाय है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - दयारे-गै़र में सोज़े-वतन की आँच न पूछ - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता -उस ज़ुल्फ़ की याद जब आने लगी - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - यूँ माना ज़िन्दगी है चार दिन की - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - जो बात है हद से बढ़ गयी है - फ़िराक़ गोरखपुरी
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लेखनी कविता - गुड्डी परी, मुन्ना राजकुमार - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता -जो बर्फानी हवा झेलते - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता -नई बात सोचा करते हैं - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता -बड़ा अनोखा टेलीफ़ोन - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - लाल बहादुर शास्त्री - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - चाचा नेहरू के गुलाब! - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - जब कक्षा में आती मैडम, - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - नहीं किसी से डरते हम - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - रंग जमाया टी.वी. ने - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - गाँधीजी के बन्दर तीन - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - लगे जब चोट सीने में हृदय का भान होता है - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता -अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - अक़्ल ये कहती है, सयानों से बनाए रखना - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता -जो बात मेरे कान में ख़्वाबों ने कही है - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - उनके वादे कल के हैं - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता -ज्ञान-ध्यान कुछ काम न आए - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - पलकें बिछाए तो नहीं बैठीं - बालस्वरूप राही
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लेखनी कविता - शोर यूँ ही न परिंदों ने मचाया होगा - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - वो भी सराहने लगे अरबाबे-फ़न के बाद - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -वो कभी धूप कभी छाँव लगे - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -वक्त ने किया क्या हंसी सितम - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - लाई फिर इक लग़्ज़िशे-मस्ताना तेरे शहर में - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाये - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - पत्थर के ख़ुदा वहाँ भी पाए - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -मैं यह सोचकर उसके दर से उठा था - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - मैं ढूँढता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - मेरे दिल में तू ही तू है - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -झुकी झुकी सी नज़र बेक़रार है कि नहीं - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - दस्तूर क्या ये शहरे-सितमगर के हो गए - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - खार-ओ-खस तो उठें, रास्ता तो चले - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -कोई ये कैसे बता ये कि वो तन्हा क्यों हैं - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - कभी जमूद कभी सिर्फ़ इंतिशार सा है - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - ऐ सबा! लौट के किस शहर से तू आती है? - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -अज़ा में बहते थे आँसू यहाँ - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता - अब तुम आग़ोश-ए-तसव्वुर - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -दोस्त ! मैं देख चुका ताजमहल ...वापस चल
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लेखनी कविता - मेरा माज़ी मेरे काँधे पर - कैफ़ी आज़मी
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लेखनी कविता -हुश्न-ए-बेपरवा ख़रीदार-ए-मता-ए-जलवा है - ग़ालिब
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लेखनी कविता - हुजूम-ए-नाला हैरत आजिज़-ए-अर्ज़-ए-यक-अफ़्ग़ँ है - ग़ालिब
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लेखनी कविता -हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए-सुख़न की आज़माइश है - ग़ालिब
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लेखनी कविता -हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए-सुख़न की आज़माइश है - ग़ालिब
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लेखनी कविता - हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी - ग़ालिब
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लेखनी कविता -हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुशकिल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़ - ग़ालिब
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लेखनी कविता - सियाहि जैसे गिर जावे दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर - ग़ालिब
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लेखनी कविता -सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं - ग़ालिब
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लेखनी कविता - सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर - ग़ालिब
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लेखनी कविता -वुसअत-स-ईए-करम देख कि सर-ता-सर-ए-ख़ाक - ग़ालिब
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लेखनी कविता - वां उस को हौल-ए-दिल है तो यां मैं हूं शरम-सार - ग़ालिब
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लेखनी कविता -लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं - ग़ालिब
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लेखनी कविता - लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले - ग़ालिब
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लेखनी कविता -लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी - ग़ालिब
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लेखनी कविता - रहा गर कोई ता क़यामत सलामत - ग़ालिब
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लेखनी कविता -रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है - ग़ालिब
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लेखनी कविता - मुझ को दयार-ए-ग़ैर में मारा वतन से दूर - ग़ालिब
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लेखनी कविता -मुँद गईं खोलते ही खोलते आँखें 'ग़ालिब' - ग़ालिब
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लेखनी कविता - मस्ती ब-ज़ौक़-ए-ग़फ़लत-ए-साक़ी हलाक है - ग़ालिब
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लेखनी कविता -बीम-ए-रक़ीब से नहीं करते विदा-ए-होश - ग़ालिब
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लेखनी कविता - बर्शकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए - ग़ालिब
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लेखनी कविता -ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर - ग़ालिब
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लेखनी कविता - है बज़्म-ए-बुतां में सुख़न आज़ुर्दा लबों से - ग़ालिब
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लेखनी कविता -फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर - ग़ालिब
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लेखनी कविता - पीनस में गुज़रते हैं जो कूचे से वह मेरे - ग़ालिब
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लेखनी कविता -नश्शा-हा शादाब-ए-रंग ओ साज़-हा मस्त-ए-तरब - ग़ालिब
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लेखनी कविता - न लेवे गर ख़स-ए-जौहर तरावत सबज़-ए-ख़त से - ग़ालिब
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लेखनी कविता -नफ़स न अंजुमन-ए-आरज़ू से बाहर खींच - ग़ालिब
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लेखनी कविता - देख कर दर-पर्दा गर्म-ए-दामन-अफ़्शानी मुझे - ग़ालिब
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लेखनी कविता -दिल लगा कर लग गया उन को भी तनहा बैठना - ग़ालिब
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लेखनी कविता - तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो - ग़ालिब
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लेखनी कविता -ता हम को शिकायत की भी बाक़ी न रहे जा - ग़ालिब
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लेखनी कविता - तपिश से मेरी वक़्फ़-ए-कशमकश हर तार-ए-बिस्तर है - ग़ालिब
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लेखनी कविता -जुनूँ की दस्त-गीरी किस से हो गर हो न उर्यानी - ग़ालिब
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लेखनी कविता - जादा-ए-रह ख़ुर को वक़्त-ए-शाम है तार-ए-शुआ - ग़ालिब
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लेखनी कविता -ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब' - ग़ालिब
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लेखनी कविता - ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद - ग़ालिब
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लेखनी कविता -ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है - ग़ालिब
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लेखनी कविता - जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई - ग़ालिब
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लेखनी कविता -चशम-ए-ख़ूबां ख़ामुशी में भी नवा-परदाज़ है - ग़ालिब
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लेखनी कविता - घर में था क्या कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता - ग़ालिब
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लेखनी कविता -गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज - ग़ालिब
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लेखनी कविता - गरम-ए-फ़रयाद रखा शक्ल-ए-निहाली ने मुझे - ग़ालिब
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लेखनी कविता -गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग - ग़ालिब
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लेखनी कविता - कोह के हों बार-ए-ख़ातिर गर सदा हो जाइये - ग़ालिब
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लेखनी कविता -कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है - ग़ालिब
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लेखनी कविता - क़यामत है कि सुन लैला का दश्त-ए-क़ैस में आना - ग़ालिब
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लेखनी कविता -कहते तो हो तुम सब कि बुत-ए-ग़ालिया-मू आए - ग़ालिब
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लेखनी कविता - क्या तंग हम सितमज़दगां का जहान है - ग़ालिब
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लेखनी कविता -उग रहा है दर-ओ-दीवार से सबज़ा ग़ालिब - ग़ालिब
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लेखनी कविता - आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़न-ए सदाए आब है - ग़ालिब
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लेखनी कविता -'असद' हम वो जुनूँ-जौलाँ गदा-ए-बे-सर-ओ-पा हैं - ग़ालिब
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लेखनी कविता - अफ़सोस कि दनदां का किया रिज़क़ फ़लक ने - ग़ालिब
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लेखनी कविता -अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना - ग़ालिब
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लेखनी कविता - बिजली सी कौंद गयी आँखों के आगे - ग़ालिब
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लेखनी कविता - वह शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहां - ग़ालिब
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लेखनी कविता -ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं - ग़ालिब
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लेखनी कविता - बिजली इक कौंद गयी आँखों के आगे तो क्या - ग़ालिब
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लेखनी कविता -वह हर एक बात पर कहना कि यों होता तो क्या होता - ग़ालिब
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लेखनी कविता - बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला - ग़ालिब
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लेखनी कविता -नुक्तह-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने- ग़ालिब
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लेखनी कविता -नुक्तह-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने- ग़ालिब
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लेखनी कविता -आ कि मेरी जान को क़रार नहीं है- ग़ालिब
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लेखनी कविता - हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है- ग़ालिब
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लेखनी कविता - शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया - ग़ालिब
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लेखनी कविता -ज़हर-ए-ग़म कर चुका था मेरा काम - ग़ालिब
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लेखनी कविता - नवेदे-अम्न है बेदादे दोस्त जाँ के लिए - ग़ालिब
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लेखनी कविता -हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे- ग़ालिब
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लेखनी कविता - फिर हुआ वक़्त कि हो बाल कुशा मौजे-शराब - ग़ालिब
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लेखनी कविता -ख़ुश हो ऐ बख़्त कि है आज तेरे सर सेहरा - ग़ालिब
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लेखनी कविता - कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं - ग़ालिब
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लेखनी कविता - अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ - ग़ालिब
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लेखनी कविता -पल में काँटा बदल गया - अल्हड़ बीकानेरी
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लेखनी कविता - शारदा स्तुति -पल में काँटा बदल गया - अल्हड़ बीकानेरी
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लेखनी कविता - मुझको सरकार बनाने दो - अल्हड़ बीकानेरी
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लेखनी कविता - कुत्ते तभी भौंकते हैं - अल्हड़ बीकानेरी
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लेखनी कविता - गगन दमामा बाजिया, पड्या निसानैं घाव
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लेखनी कविता -रचनहार कूं चीन्हि लै, खैबे कूं कहा रोइ
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लेखनी कविता - `कबीर' मारूँ मन कूं, टूक-टूक ह्वै जाइ
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लेखनी कविता - `कबीर' मारूँ मन कूं, टूक-टूक ह्वै जाइ
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लेखनी कविता - परनारी राता फिरैं, चोरी बिढ़िता खाहिं
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लेखनी कविता -मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर
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लेखनी कविता - भारी कहौं तो बहु डरौं, हलका कहूं तौ झूठ
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लेखनी कविता - भगति भजन हरि नांव है, दूजा दुक्ख अपार
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लेखनी कविता -राम-नाम कै पटंतरै, देबे कौं कछु नाहिं -कबीर
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लेखनी कविता -घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे-कबीर
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लेखनी कविता - मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में -कबीर
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लेखनी कविता - तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के -कबीर
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लेखनी कविता - मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे -कबीर
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लेखनी कविता - प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय-कबीर
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लेखनी कविता - कस्तूरी कुँडल बसै, मृग ढ़ुढ़े बब माहिँ-कबीर
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लेखनी कविता - नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार -कबीर
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लेखनी कविता - स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - मुस्कुराकर चल मुसाफिर -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता -है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - मेरा गीत दिया बन जाए -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं -गोपालदास नीरज
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लेखनी कविता - फिर कर लेने दो प्यार प्रिये - दुष्यंत कुमार
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लेखनी कविता - चीथड़े में हिन्दुस्तान - दुष्यंत कुमार
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लेखनी कविता -मत कहो आकाश में कोहरा घना है - दुष्यंत कुमार
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लेखनी कविता - मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आयेंगे - दुष्यंत कुमार
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लेखनी कविता -गांधीजी के जन्मदिन पर - दुष्यंत कुमार
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लेखनी कविता - देव! दूसरो कौन दीनको दयालु -तुलसीदास
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लेखनी कविता - तऊ न मेरे अघ अवगुन गनिहैं -तुलसीदास
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लेखनी कविता - छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो
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लेखनी कविता -परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना -अमीर ख़ुसरो
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लेखनी कविता - मेरे महबूब के घर रंग है री -अमीर ख़ुसरो
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लेखनी कविता -ऐ री सखी मोरे पिया घर आए -अमीर ख़ुसरो
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लेखनी कविता - बहुत कठिन है डगर पनघट की -अमीर ख़ुसरो
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लेखनी कविता - जो तुम आ जाते एक बार -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -जो मुखरित कर जाती थीं -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - वे मुस्कराते फूल नहीं -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - वे मधु दिन जिनकी स्मृतियों की -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - नीर भरी दुःख की बदली -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -सजनि कौन तम में परिचित सा -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - धूप सा तन दीप सी मैं -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - जाने किस जीवन की सुधि ले -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -मधुर-मधुर मेरे दीपक जल! -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - बताता जा रे अभिमानी! -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -पूछता क्यों शेष कितनी रात? -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - दीपक अब रजनी जाती रे -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -मैं नीर भरी दुख की बदली! -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -क्यों इन तारों को उलझाते? -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - मैं अनंत पथ में लिखती जो -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - अलि! मैं कण-कण को जान चली -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - मैं प्रिय पहचानी नहीं -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - मेरा सजल मुख देख लेते! -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - कौन तुम मेरे हृदय में -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - जाग-जाग सुकेशिनी री! -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -किसी का दीप निष्ठुर हूँ -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - सब आँखों के आँसू उजले -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - शून्य से टकरा कर सुकुमार -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता -उर तिमिरमय घर तिमिरमय -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - अश्रु यह पानी नहीं है -महादेवी वर्मा
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लेखनी कविता - कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे -मीरां
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लेखनी कविता - थारो विरुद्ध घेटे कैसी भाईरे -मीरां
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लेखनी कविता - श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन -तुलसीदास
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लेखनी कविता -कृष्ण की चेतावनी -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता -हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता - राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता -लोहे के पेड़ हरे होंगे -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता - मेरे नगपति! मेरे विशाल! -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता -विजयी के सदृश जियो रे -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता - रोटी और स्वाधीनता -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता - पढ़क्कू की सूझ -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता - जनतन्त्र का जन्म -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता -जियो जियो अय हिन्दुस्तान -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता -रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता -एक विलुप्त कविता -रामधारी सिंह दिनकर
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लेखनी कविता - भारत जमीन का टुकड़ा नहीं - अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - दुनिया का इतिहास पूछता - अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय - अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - जो बरसों तक सड़े जेल में - अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - राह कौन सी जाऊँ मैं? - अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - हिरोशिमा की पीड़ा -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - कौरव कौन, कौन पांडव -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - दूध में दरार पड़ गई -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - जीवन की ढलने लगी साँझ -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - मैं न चुप हूँ न गाता हूँ -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - अपने ही मन से कुछ बोलें -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - पुनः चमकेगा दिनकर -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - आओ फिर से दिया जलाएँ -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कविता - क़दम मिला कर चलना होगा -अटल बिहारी वाजपेयी
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लेखनी कहानी - स्वजाति प्रेम - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी -शत्रु की सलाह -शरारती बंदर - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - मूर्ख बातूनी कछुआ - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी -मुफ्तखोर मेहमान - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - मित्र की सलाह - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - मक्खीचूस गीदड - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी -बुद्धिमान सियार - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - बिल्ली का न्याय - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - बडे नाम का चमत्कार - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - बंदर का कलेजा - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी -नकल करना बुरा है - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - दुश्मन का स्वार्थ - पंचतन्त्र' कहानियां
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लेखनी कहानी - तब छूटा चुड़ैल से पीछा (दिवानी चुड़ैल) - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - दयावान भूत पर आ रही है असीम दया? - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - प्रेत योनि का किस्सा - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - बिना गुरु का साधक - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - जब उसे भूतिया घटना मिली - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - अमावस्या का रहस्य - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - 900 साल पुराना एक मंदिर , जहा रात ढलते हर इन्सान बन जाता है पत्थर - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - भारत के अलग अलग जगहों पर भूतो के अलग अलग प्रकार - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - पुराना कब्रिस्तान - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - पुराना कब्रिस्तान - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - आखिर कौन था वह??.... - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - बुरी आत्मा का सामना किससे होता है - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - ऐसे स्थान जहां खतरनाक और दुष्ट आत्माएं कैद हैं - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - भारत का एकमात्र गाँव जहा लगता है भूतो का मेला - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - वह प्रेत जिसने कई सोखाओं को पीटा.... - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - परमात्मा का स्वरूप - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - भूतनी का खूनी बदला - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - काली जुबान का अभिशाप - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी - कराची के 39 ब्लाक - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी -जब वह पड़ गया चुड़ैल के प्रेम में - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी -एक ऐसी प्रेम कहानी जिसे भुला दिया गया - डरावनी कहानियाँ
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लेखनी कहानी -अघोरी साधुओ की रहस्यमयी दुनिया - डरावनी कहानियाँ
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