लेखनी कहानी -भिक्षुक का जादू भाग ५
भिक्षुक का जादू भाग 5
जैसे ही अंतिम नाशपाती तोड़ी गई पेड़ के पत्ते सूख कर पीले हो गए और झड़ने लगे। जो डालें मज़बूत दिखाई दे रही थी थी वह सूख कर विकृत हो गई। “पेड़ ने सारे फल दे दिए है”, वृद्ध ने कहा। अपनी कुल्हाड़ी से पेड़ को उन्होंने काट डाला और उसकी लकड़िया लोगों को जलाने के लिए दे दी।
उन्होंने अपने हाथ झाड़कर धूल साफ़ की और अपने थैले से ढूंढ कर कागज का एक टुकड़ा निकाला जो उन्होंने फू नान को दिया। “जब तुम घर पहुंच जाओगे” उन्होंने फुसफुसाकर कहा। “इसको एक धागे से बांध देना और फिर देखना क्या होता है। फिर हाथ हिलाकर उन्होंने सबको अलविदा किया और पहाड़ों की ओर जाने वाले रास्ते पर चल दिए।
सब लोग इकट्ठे होकर उस जादू के विषय में बात करने लगे जो उन्होंने देखा था। फू नान ने कागज का टुकड़ा अपनी जेब में रख लिया और अपने माता-पिता को ढूंढने निकल पड़ा।
गांव के चौराहे से आई क्रोध भरी दहाड़ सुनकर फू नान रुक गया। लोगों ने किसानों को उस जगह खड़े देखा जहां उसका ठेला था। किसान वू की नाशपाती और उसका ठेला गायब हो गए थे। सिर्फ गधा और ठेले के दो पहिए वहां थे। तभी फू नान सब समझ गया। वृद्ध संन्यासी ने जादू से किसान वू की सारी नाशपाती गायब कर दी थी। पहिए को छोड़ ठेले की अन्य भाग पेड़ बनाने में उन्होंने उपयोग कर लिए थे।
किसान वू भी समझ गया कि क्या हुआ था। चौराहे में इकट्ठे लोगों को इधर-उधर धकेलते हुए वे सन्यासी के पीछे भागा और चिल्लाया “उस बूढ़े भिखारी को पकड़ो,उसने मेरी नाशपातीया चुरा ली।” लेकिन पहाड़ों की ओर जाते रास्ते पर सन्यासी बहुत दूर निकल गए थे। किसान वू के पीछे खड़े ग्रामीण इतनी जोर से हंस पड़े कि उनके लिए खड़े रहना भी कठिन हो गया।
उस दिन से आज भी किसान वू के नाशपाती खोने की कहानी सुनाकर गांव के लोग अपने बच्चों को आज भी सचेत करते हैं। उस मूर्ख इंसान की तरह कंजूसी ना करना अन्यथा अंत में जग हंसाई का कारण बन जाओगे।
उस दिन से टोकरी बनाने वाले के बेटे को आकाश में उड़ते हुए पक्षी देखना अच्छा लगता है लेकिन फिर उसने कभी कोई पक्षी नहीं पकड़ा। लियांग का कुआं मीठे स्वच्छ पानी से हमेशा भरा रहता है, सूखे के दिनों में भी। और जो कागज का टुकड़ा वृद्ध ने फू नान को दिया था वह एक विशाल शानदार पतंग बन गया।
उत्सव पर जब पहली बार उसने पतंग को शाम के समय उड़ाया तभी वो जान गया था कि जितनी भी पतंगे उसने अब तक ली थी ये पतंग सबसे अधिक सुंदर और मजबूत थी। पतंग के माझे को पकड़े हुए और हवा में पतंग की पूछ के फड़फड़ाने की आवाज सुनकर फू नान को लगा की वृद्ध संन्यासी उसके निकट ही थे। एक दिन उसने सोचा गांव त्याग कर वे वृद्ध संन्यासी का अनुसरण करते हुए पहाड़ों में जाने योग्य हो जाएगा।