Madhu varma

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लेखनी कहानी - आग के बीज भाग २

आग के बीज भाग 2


देवता ने अपनी दिव्य शक्ति द्वारा आकाश से जंगल में बिजली गिरायी। एक तेज़ गर्जन के साथ जंगल के पेड़ों पर बिजली गिरी और कई पेड़ आग से जल उठे। देखते ही देखते आग की लपटें चारों और तेज़ी से फैल गईं। लोग बिजली की भंयकर गर्जन और धधकती हुई आग से भयभित हो कर दूर भाग गये।

कुछ समय के बाद तेज़ वर्षा शरू हुई और आग भी कुछ कम हुई। जब रात हुई तो वर्षा के पानी से ज़मीन बहुत नम और ठंडी हो गई। दूर भाग चुके लोग फिर इकट्ठे हुए, और डरते-डरते पेड़ों पर जल रही आग देखने लगे।

लोगो ने देखा की पहले जब रात होती थी तो जंगली जानवर हुंकार करते सुनाई देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ। क्या जंगली जानवर पेड़ों पर जलती हुई इस सुनहरी चमकीली चीज़ से डरते हैं? लोगों ने अब इस बारे में सोचना शरू किया।

कुछ लोग हिम्मत करके आग के निकट पहुंचे तो उन्हें महसूस हुआ कि उसका शरीर गर्म हो गया है। आश्चर्यचकित होकर उन्होंने और लोगों को भी बुलाया, “आओ, देखो, यह जलती हुई चीज खतरनाक नहीं है, यह हमें रोशनी और गर्मी देती है।

लोगों ने जब अपने आस पास आग से जल कर मरे जानवरों को देखा तो उन्हें उनके मांस से बहुत महकदार सुगंध आई। जब चखा, तो स्वाद बहुत अच्छा लगा। सभी लोग आग के पास जमा हो गए और आग से जले जानवरों का मांस खाने लगे। उन्होंने इससे पहले कभी पके हुए मांस का स्वाद नहीं लिया था।

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