लेखनी कहानी - आग के बीज भाग ३
आग के बीज भाग 3
सभी लोग समझ गए कि यह चमकती हुई चीज़ बहुत उपयोगी है। इसलिए वो पेड़ों की टहनियाँ और शाखाएं एकत्रित करके जलाने लगे और आग को सुरक्षित कर रखने लगे। अब तो रोज वो लोग बारी बारी से आग के पास रहते हुए उसे बुझने से बचाने में लग गए।
एक रात आग की रक्षा करने वाले व्यक्ति को नींद आ गई और वह सो गया। इस दौरान आग लगी लकड़िया पूरी तरह से जल गई और आग बुझ गई। जब सुबह उठ कर देखा तो आग का नमो निशान नहीं था। सभी लोग उस नौजवान को कोसने लगे। अब दुवारा से लोग अंधेरे और ठंड से जूझने लगी। अब तो उन्हें अपना जीवन पहले से ज्यादा दूभर लगने लगा।
देवता फुशी ने स्वर्ग से यह देखा तो उन्होंने उसी नौजवान मानव को एक सपना दिखाया, जिस में उन्होंने उस युवा को बताया कि दूर दराज पश्चिम में स्वी मिन नाम का एक राज्य है , वहां आग के बीज मिलती है। तुम वहां जा कर आग का बीज लेकर आओ। जब वो नौजवान सपने से जागा और सोचने लगा कि सपने में देवता ने जो बात कही थी, मैं ऐसा ही करूंगा, तब वह आग के बीज तलाशने हेतु रवाना हो गया।
ऊंचे ऊंचे पहाड़ों को लांघ, गहरी नदियों को पार कर और घने जंगलों से गुजर, लाखों कठिनाइयों को सहते हुए वह अंत में स्वी मिन राज्य पहुंचा। लेकिन उसे यहां भी न कोई रोशनी, न आग मिली। हर जगह अंधेरा ही अंधेरा था। नौजवान को बड़ी निराश हुई, तो स्वी मु नाम के एक किस्म के पेड़ के पास जाकर बैठ गया।