क्या आपको भूतों पर यकीन होता है क्या भूत होते भी हैं भूतों के बारे में कहावत है कि जिसने भी देखा उसी ने मान लिया जिसने नहीं देखा वह उसको नहीं जानता. एक कहानी मेरे दोस्त ने मुझे सुनाई थी शायद इससे कुछ हद तक हम जान सकते हैं कि भूत जैसी कोई चीज होती भी है या नहीं बहुत साल हो गए इस बात को मेरा दोस्त एक दिन अपने गांव जा रहा था ट्रेन का समय काफी देर में था और वह इंतजार कर रहा था ट्रेन के लिए गांव का सफर लगभग ट्रेन से 3 घंटे का रहता है
इसलिए उसने ट्रेन से जाना ज्यादा अच्छा माना क्योंकि बस के द्वारा जाने में थोड़ी तकलीफ तो होती है फिर उसने बताया है कि जैसे ही ट्रेन आई फिर से सभी लोग ट्रेनों में चढ़ने लगे और वह भी अपनी सीट पर बैठ गया ज्यादा लेट होने की वजह से वह अपने स्टेशन पर लगभग 10:00 बजे के करीब उतरा था, उसका घर स्टेशन से तकरीबन 1 घंटे की दूरी पर था जो कि पैदल तय की जा सकते थे रात के समय कोई साधन भी नहीं मिल पाया बहुत ढूंढा लेकिन कोई साधन नहीं मिला तो फिर उसने सोचा कि चलो पैदल ही चलते हैं गांव का रास्ता एक जंगल से होकर गुजरता था
रात के समय तो जंगल भी काफी डरावने लगते हैं और अगर ऊपर से अकेले ही जाना हो तो आप सोच ही सकते हैं कि कैसा लगता है जब वह उस जंगल के रास्ते से जा रहा था तो उसके कदमों की आवाज और दिल की आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी क्योंकि कोई और था भी नहीं, अकेले रास्ते पर चलना आप बड़ी मुश्किल से पार किया जाना वाला रास्ता होता है जब एक मोड़ आया तो उस रास्ते पर ही किसी के कुछ बजने की आवाज आने लगी मानो ऐसा लग रहा था कि पीछे कोई उसके साथ साथ चल रहा है पर वह पुरानी कहावत सभी को याद रहती है की पीछे मुड़कर कभी नहीं देखना चाहिए
मेरे दोस्त ने अपने कदम और थोड़ी सी तेज किए तो आवाज उसके पीछे से और बढ़ने लगे जैसे ही उसने जानना चाहा कि अगर मैं रुक जाता हूं तो देखता हूं कि आवाज बंद होती है या चलती रहती है जैसे ही वह रुका आवाज भी आनी बंद हो गई पीछे मुड़ने की हिम्मत तो कर ही नहीं पाया, अब तो बस यही ख्याल था दिमाग में कि कैसे करें यह रास्ता कट जाए फिर वह थोड़ी देखते चलने लगा आवाज भी और तेज हो गई जब आवाज तेज होने लगी तो उसे लगा कि अब तो भागने के अलावा कोई रास्ता ही दिखाई नहीं दे रहा जैसे ही वह भागने लगा तो आवाज भी तेजी से उसी की तरफ आने लगी
भागते-भागते कुछ दूरी पर जाकर जैसे ही वह रुका क्योंकि अब लगातार भागने से भी आदमी थक जाता है आवाज भी बिल्कुल उसी के पास आकर रुकी मेरे दोस्त की आवाज काफी तेज आ रही थी क्योंकि इसकी जूते भी काफी चलते वक्त आवाज कर रहे थे आवाज पीछे से भी आ रही थी मानो ऐसा लग रहा था कि पीछे वाले व्यक्ति जूते ही पहने,
मेरे दोस्त को लगा कि अब रहा नहीं जाता पीछे देखना ही पड़ेगा कौन हो और जैसे ही पीछे मुड़ा पीछे कोई भी नहीं था और अब उसके घर की दूरी भी लगभग 2 से 3 मिनट की बची थी और वह अपने घर पहुंच गया और यह बात उसने अपने घरवालों को बताई और उन्होंने कहा कि तुम्हें रात को नहीं आना चाहिए अगर आते भी तो दिन में आ जाते तुम्हें रात बिल्कुल सफर नहीं करनी चाहिए पता नहीं कौन कहां पर किसका और कब इंतजार कर रहा है इस बात को कोई नहीं जानता लेकिन वह आज भी सोचता है जिसके पीछे कौन चल रहा था जो दिखाई भी नहीं दिया इस बात को सोच कर आज भी वह है इतना डर जाता है कि शायद वह किस्सा उसके सामने अभी का अभी खड़ा हुआ है
दोस्तों इस से एक ही सलाह दी जाती है कि आप बिल्कुल भी रात में अकेले सफर ना करें क्योंकि पता नहीं कौन सी चीज कब किसको कहां पर पकड़ ले इसलिए जितना हो सके रात के अंधेरे से हमेशा दूर रहें इसमें ऐसी बहुत सी सच्चाई छिपी हैं कि जिसको कोई नहीं जान सका है.