गजल
बुरे खयालातों को दफनाने में न कोई ईंट गारा लगता है
सही को सही ग़लत को ग़लत ठहराने में अब डर लगता है
विश्व समुदाय को ठेंगा दिखाकर आतंकी सरकार बन गई
लूट खसोट अराजकता से महिलाओं काअब दम घुटता है
सही को सही-------१
सत्तासीन आताताई क्या जनता का भला करेंगे कभी
सांप को दूध पिलाने से क्या नफा वो डंसने का मन करता है
सही को सही--------२
**सेवक** भले मानुष का अब तो जीना हो गया दूभर
ओढ़ के चादर खामोशी की घर से निकलना पड़ता है
सही को सही-------------३
**रामसेवक गुप्ता**
Aliya khan
01-Oct-2021 01:22 AM
Sundar rachana
Reply
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
29-Sep-2021 08:30 PM
Wah
Reply
Miss Lipsa
27-Sep-2021 06:33 PM
Wow
Reply